Design Tools and Programming language in Hindi

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अगर आप कंप्यूटर के डिजाइन टूल्स तथा प्रोग्रामिंग भाषाएँ के बारे में जानकारी खोज रहे है तो आज हम आपको Design Tools and Programming Languages in hindi में आपको समझने वाले है।

आज आपको computer में Design Tools क्या होता है? और Programming language kya hai और types of programming language in hindi में आपको पूरी जानकारी मिलेंगी। अगर आप किसी govt exam की तैयारी कर रहे है तो आपको इस लेख के साथ हमारे अन्य लेख जैसे कंप्यूटर का इतिहास, इनपुट और आउटपुट डिवाइस के बारे में भी पढ़ना चाहिए।


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Design Tools क्या है?

किसी प्रोग्राम को लिखने से पहले उसके अर्न्तगत होने वाले इनपुट, आउटपुट, डेटा के प्रवाह तथा लॉजीक का निर्धारण करना होता है। इसके लिए हमें डिजाइन टुल्स की आवश्यकता होती है। ये डिजाइन टुल्स निम्नलिखित है।

DFD-Data Flow Diagram

DFD किसी प्रोसेस या सिस्टम में डेटा के प्रवाह का चित्रात्मक प्रदर्शन है। इसमें सिस्टम में कंट्रोल का प्रवाह न दिखाकर डेटा का प्रवाह को चित्रित करते हैं। DFD बनाने के लिए कुछ चिह्नों और संकेतकों (Symbols and Notations) का उपयोग होता है। ये संकेतक निम्नलिखित हैं:

DFD-Data Flow Diagram
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  1. डेटा फ्लो (Data Flow): इसे तीर के चिह्न वाली में डेटा के प्रवाह की दिशा बताता है ।
  2. प्रक्रिया (Process): यह आने वाली डेटा के प्रवाह ( Incoming data flow) को जाने वाली डेटा के प्रवाह (outgoing data flow) में बदल देता है। इसके अन्दर प्रोसेस के निर्देश होते हैं।
  3. निर्णय (Decision): यह लॉजिकल प्रक्रिया को प्रदर्शित करता है जिसका परिणाम हो (yes) या ना (No) होता है । DFD में इसे  ⃟ से दर्शाया जाता है।
  4. कनेक्टर (Connector): विशाल प्रोग्राम के एक पृष्ठ से अधिक के फ्लोचार्ट को कनेक्टर के द्वारा जोड़ा जाता है।
  5. इनपुट/आउटपुट (Input/output): यह प्रोग्राम में इनपुट तथा आउटपुट को दर्शाता है ।
  6. डेटा स्टोर (Data Store): यह डेटा के संग्रह को दर्शाता है।

एल्गोरिदम क्या है?

‘कम्प्यूटर की सहायता से किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए प्रोग्राम या निर्देशों के समूह की आवश्यकता होती है। प्रोग्राम लिखने के लिए हमें एक-एक कर बताना होता है, यह कैसे संपन्न होगा या प्रोग्राम किस लॉजिक पर कार्य करेगा यहाँ पर हमें कम्प्यूटर एल्गोरिदम की जरूरत होती है। एल्गोरिदम किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम को पूरा करने के लिए बुनियादी तकनीक है। यह निर्देशों का समूह है जो कार्य सम्पन्न होने में सहायक है।

फ्लोचार्ट क्या है?

फ्लोचार्ट एल्गोरिदम या प्रोसेस का चित्रात्मक प्रदर्शन है। फ्लोचार्ट प्रोसेस या प्रोग्राम का विश्लेषण, डिजाइन करने, डाक्यूमेंट बनाने तथा प्रबंधन में उपयोग होता है। यह भी DFD के तरह चिह्नों तथा संकेतकों का प्रयोग कर बनाया जाता है।

सुडोकोड क्या है?

इसे प्रोग्राम डिजाइन लैंग्वेज (PDL) भी कहा जाता है जो फ्लोचार्ट का एक विकल्प है। सुडोकोड में लॉजिक को अंग्रेजी की तरह लिखा जाता है। बहुत सारे प्रोग्रामर सुडोकोड को वरीयता देते हैं क्योंकि इसमें परिवर्तन करना आसान है।

प्रोग्रामिंग भाषाएँ क्या है? (What is Programming Languages in Hindi)

प्रोग्रामिंग भाषा कम्प्यूटर को निर्देश देने तथा इच्छानुसार कार्य करवाने का एक माध्यम है। यह एक कृत्रिम भाषा है जिसे कम्प्यूटर को एक निश्चित क्रमानुसार चलाने या काम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह की-बोर्ड, सिंवाल्स का एक सेट और स्टेटमेंट कन्स्ट्रक्ट करने के लिए नियमों का एक सेट है, जिसके द्वारा मानव कम्प्यूटर द्वारा निष्पादित किये जाने वाले अनुदेशों को संप्रेषित कर सकता है।

Types of programming language in hindi

मुख्यतः प्रोग्रामिंग भाषा दो प्रकार के होते हैं:

  1. निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language)
  2. उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)
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मशीन भाषा क्या है?

यह कम्प्यूटर की आधारभूत भाषा है। यह केवल 0 और 1 दो अंकों के प्रयोग से निर्मित शृंखला अर्थात् बाइनरी कोड से लिखी जाती है। यह एकमात्र कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है जो कि कम्प्यूटर द्वारा सीधे-सीधे समझी जाती है। इसे किसी अनुवादक (Translator) प्रोग्राम के आवश्यकता नहीं करनी होती है। इसे कम्प्यूटर का मशीन संकेत भी कहते हैं। प्रोग्रामिंग शुरूआत के समय प्रोग्राम इसके प्रयोग से लिखे जाते थे । 

मशीन भाषा में प्रत्येक निर्देश के दो भाग होते हैं पहला ऑपरेशन कोड या ऑपको (operation code or opcode) और दूसरा लोकेशन कोड या ऑपरेण्ड (Location code or oprand)। ऑपकोड कम्प्यूटर को यह बताता है कि क्या करना है और ऑपरेण्ड यह है कि आँकड़ें कहाँ से प्राप्त करना है, कहाँ संग्रहित करना है।

मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखना एक मुश्किल कार्य है। इस भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए प्रोग्रामर को मशीन निर्देशों या अनेकों संकेत संख्या के रूप में याद करना पड़ता है। इसमें गलती होने की संभावना अत्यधिक है तथा यह अत्यधिक समय लगने वाला कार्य है ।

असेम्बली भाषा क्या है?

मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखने में आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक अन्य असेम्बली भाषा का निर्माण किया गया। इसमें बाइनरी कोड (0 या 1) का इस्तेमाल न का अक्षर अथवा चिह्नों का प्रयोग किया जाता है जिसे सिम्बॉल (Symbol) भाषा कहते हैं। इसमें न्यूमोनिक कोड का प्रयोग किया गया जिन्हें याद रखना आसान है।

जैसे LDA (load), TRAN (Translation), ADD (Adding ) तथा SUB (Subtraction) के लिए इत्यादि । इनमें से प्रत्येक के लिए एक मशीन कोड भी निर्धारित किया गया, पर असेम्बली कोड से मशीन कोड या ऑब्जेक्ट कोड में परिवर्तन का काम एक प्रोग्राम के द्वारा किया जाता है। जिसे असेम्बलर (Assembler) कहा गया।

अतः असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखना अपेक्षाकृत अधिक सरल तथा समय की बचा करने वाला है। इसमें गलतियों को सरलता से ढूँढ़ा जा सकता है।

उच्च स्तरीय भाषा क्या है ?

High level language in hindi: उच्च स्तरीय भाषा कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है जिसमें अंग्रेजी अक्षरो संख्याओं एवं चिह्नों का प्रयोग कर प्रोग्राम लिखा जाता है । यह मशीन पर निर्भर (Machin dependent) नहीं है। इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को कार्यानुसार चार वर्गों में विभाजित किय गया है:

  1. वैज्ञानिक प्रोग्रामिंग भाषाएँ (Scientific Programming Languages): इनका प्रयोग मुख्यतः वैज्ञानिक कार्यों के लिए होता है, जैसे- अल्गोल, बेसिक, फोरट्रॉन, पास्कल आदि।
  2. व्यावसायिक प्रोग्रामिंग भाषाएँ ( Commercial Programming Languages): व्यापार संबंधित कार्यों, जैसे- बही खाता, रोजानामचा, स्टॉक आदि का लेखा-जोखा आदि के  लिए इनका उपयोग किया जाता है। जैसे- PL1, कोबोल, डीबेस आदि।
  3. विशेष उद्देश्य प्रोग्रामिंग भाषायें (Special Purpose Programming Languages): ये भाषायें विभिन्न कार्यों को विशेष क्षमता के साथ करने के लिए प्रयोग की जाती है। जैसे AP360, लोगो आदि।
  4. बहुउद्देशीय भाषायें (Multipurpose Programming Languages): जो भाषायें समान रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने की क्षमता रखती है, उन्हें बहुउद्देशीय भाषाएँ कहते हैं। जैसे- बेसिक, पास्कल, PL1 आदि।

Type of High Level Language in Hindi

कुछ उच्चस्तरीय भाषाएँ:

  1. फोरट्रॉन (FORTRAN-Formula Translation): इसका विकास सन् 1957 में IBM704 कम्प्यूटर के लिए जॉन बेकस के नेतृत्व में हुआ था। यह गणितीय कार्यों, सूत्रों तथा गणनाओं को करने में पूर्णतः सक्षम है। इसका उपयोग वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा कहा जाता है। यह प्रोग्रामिंग के लिए विकसित की गई सर्वप्रथम भाषा है।
  1. अल्गॉल (ALGOL-Algorithmic Language): अल्गॉल का विकास सन् 1958 में अल्गॉल 58 के नाम से हुआ था। 1960 में इसमें थोड़ा परिवर्तन कर अल्गॉल 60 लाया गया । इसका उपयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उद्देश्य से किया जाता है, तथा यह गणितीय गणना करने में पूर्ण रूप से सक्षम है
  1. PL1 (Programming Language 1): PL1 का विकास सन् 1960 में IBM के द्वारा व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए किया गया था। यह एक सफल प्रोग्रामिंग भाषा है, सिवाय इसके कि यह बहुउद्देशीय प्रसाधन देने के कारण छोटे मशीनों के लिए बहुत बड़ा है ।
  1. पास्कल (Pascal): सन् 1971 में निकलॉस विर्थ द्वारा पास्कल भाषा का विकास किया गया । इस समय अन्य भाषाओं में जो कमी थी उसे पास्कल में प्रदान करने की कोशिश की गई। इस भाषा में संरचित प्रोग्रामिंग तकनीकों (Structured Programming technique) की सुविधा प्रदान की गई। इसे विकसित करने का मूल प्रयोजन छात्रों को प्रोग्रामिंग के मूलभूत तत्वों से अवगत कराना था। यह शिक्षण कार्यों के लिए विकसित किया गया था ।
  1. बेसिक (BASIC-Beginner’s All purpose Symbolic Instruction Code): 1964 में जॉन जार्ज कैमी और थॉमस यूजीन कुर्टज ने बेसिक भाषा का विकास किया। नये प्रोग्रामरों के लिए यह सरल तथा शक्तिशाली भाषा है। यह इनट्रैक्टिव उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग वैज्ञानिकों तथा व्यवसायियों दोनों द्वारा किया जाता है।
  1. कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language): इस भाषा का विकास व्यावसायिक हितों के लिए किया गया। इस भाषा में लिखे गये वाक्यों के समूह को पैराग्राफ कहते हैं | सभी पैराग्राफ मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं और सेक्शनों से मिलकर डिविजन बनता है। कोबोल में गणितीय शब्दावली के लिए ADD SUBTRACT और MULTIPLY का उपयोग होता है। यह अंग्रेजी भाषा की तरह है तथा इसमें सर्वाधिक उपयुक्त डाक्यूमेंटेसन संभव है।
  1. लोगो (Logo): इस भाषा का विकास कम्प्यूटर शिक्षा को सरल बनाने हेतु किया गया। इसमें चित्रण इतना सरल है कि छोटे बच्चे भी चित्रण कर सकते हैं। लोगो भाषा में चित्रण के लिए एक विशेष प्रकार की त्रिकोणाकार आकृति होती है जिसे टरटल (turtle) कहते हैं। टरटल निर्देशों द्वारा किसी भी तरफ घुम सकता है। जब टरटल चलता है तो पीछे एक रेखा बनाता जाता है जिससे अनेक प्रकार के चित्रों को सरलता से बनाया जा सकता है।
  1.  ‘सी’ (C): सी प्रोग्रामिंग भाषा 1970 के दशक में डेनिस रिची द्वारा विकसित किया गया था। सी कम्पाईलर सारे मशीनों / कम्प्यूटरों पर कार्य करने में सक्षम है। अतः इसका उपयोग बहुत ही व्यापक रूप से होता है। यह सामान्य उद्देशीय (General purpose) प्रोग्रामिंग भाषा है। इसका डिजाइन तो सिस्टम सॉफ्टवेयर बनाने के लिए हुआ था, पर इसका उपयोग अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software) बनाने में भी काफी होता है।
  1. सी ++ (C ++): यह सिस्टम प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सामान्य उद्देश्य (General purpose) प्रोग्रामिंग भाषा है यह सी से थोड़ा बेहतर है तथा ऑब्जेक्ट उन्मुख (Object oriented) प्रोग्रामिंग भाषा है। C++, C की अपेक्षा कठिन प्रोग्रामिंग भाषा है।
  1. कोमल (COMAL-Common Algorithmic Language ): यह सन् 1973 में डेनमार्क के बेनेडिक्ट लॉफस्टड और ब्रौज क्रिस्टनसन के द्वारा विकास किया गया था। कोमल, बेसिक और पास्कल भाषा का मिला-जुला रूप है जो छात्रों को शिक्षा देने के लिए डिजाइन किया गया था।
  1. प्रोलॉग (Prolog): यह प्रोग्रामिंग इन लॉजिक (Programming in Logic) का संक्षिप्त है। यह डाटा स्ट्रक्चर का धनी संग्रह है। इसका उपयोग बुद्धिमान सिस्टम (Intelligent System), विशेषज्ञ सिस्टम ( Expert System) को विकसित करने में किया जाता है, जो तार्किक और भावनात्मक प्रोग्रामिंग में संभव है।
  1. आर पी जी ( RPG – Report Program Generator): यह 1961 में IBM द्वारा विकसित किया गया था। यह व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए एक प्रोग्रामिंग भाषा है जो रिपोर्ट बनाकर देता है।
  1. सी शार्प ( C Sharp): सी शार्प को C# भी लिखा जाता है। C# एक कम्प्यूटर भाषा | है, जो माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित की गई है। यह एक बहु कार्यात्मक तथा ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड प्रोग्रामिंग भाषा है।
  1. जावा (Java): जावा मूल रूप से सन माइक्रोसिस्टम द्वारा विकसित किया गया है और 1995 में इसे जारी किया गया। जावा, सिन्टैक्स सी तथा C++ का डेरिभेटीव (Derivative) है। यह ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड भाषा है। यह सामान्य उद्देश्यीय प्रोग्रामिंग भाषा है जो विभिन्न विशेशताओं के कारण इंटरनेट या वर्ल्ड वाइड वेव के लिए उपयुक्त भाषा है।

Command Languages

यह एक प्रोग्रामिंग भाषा है जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता ऑपरेटिंग सिस्टम से संचार (Communication) स्थापित करता है। कुछ कमांड भाषा निम्नलिखित हैं:

  1. डी सी एल (DCL – Digital Command Language): ये DEC VAX/VMS ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रयुक्त होता है।
  2. शेल (Shell): शेल कमांड भाषा यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रयुक्त होता है। यूनिक्स का अधिकतर उपयोग वेब सर्वर या सर्वर में होता है ।
  3. एम एस डॉस (MS-DOS-Microsoft Disc Operating System): यह IBMa साथ प्रयुक्त होता है। इसके साथ अधिकतर डेटाबेस पैकेज डीबेस प्रयुक्त होता है।

चौथी पीढ़ी की भाषा (4th GL / असेम्बल लेवल)

तीसरी पीढ़ी की भाषाओं में प्रोग्राम लिखने के लिए बहुत सारे कोड लिखने होते हैं। इन त्रुटि ढूँढ़ना तथा कोई परिवर्तन करना कठिन होता है। परन्तु 4 थी पीढ़ी की भाषा / 4th GL निर्देशों की संख्या कम होती है अतः प्रोग्राम लिखना आसान होता है।

निष्कर्ष

आज हमने computer Design Tools and Programming language in Hindi के बारे में डिटेल से जाना। हमने Programming language kya hai और types of programming language in hindi में जानकारी हासिल की। हमने सभी High Level Language के बारे में आपको जानकारी दी जो एग्जाम में सीधे प्रश्न के रूप में आप से पूछी जा सकती है।

FAQ’s on Design Tools and Programming language in Hindi

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से आप क्या समझते हैं?

प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) कंप्यूटर भाषा होती है, जिसके द्वारा प्रोग्रामर/डेवलपर्स कंप्यूटर के साथ संवाद करता है। इन भाषा की मदद से ही हम कंप्यूटर को उपयोग कर पाते है। सभी सॉफ्टवेयर किसी न किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से बने होते है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्यतः प्रोग्रामिंग भाषा दो प्रकार की मानी जाती है:
1. निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language)
2. उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

पहली प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कौन सी है?

फोरट्रॉन (FORTRAN-Formula Translation) इसका विकास सन् 1957 में IBM704 कम्प्यूटर के लिए जॉन बेकस के नेतृत्व में हुआ था। यह गणितीय कार्यों, सूत्रों तथा गणनाओं को करने में पूर्णतः सक्षम है। इसका उपयोग वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा कहा जाता है। यह प्रोग्रामिंग के लिए विकसित की गई सर्वप्रथम भाषा है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कैसे सीखें?

अगर आप प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना चाहते है तो आपको निरंतर टायपिंग करते रहना चाहिए। वह अपने आईडिया पर आपको काम करना चाहिए। इसके अतरिक्त आपको किसी कम्पनी में जॉब करनी चाहिए। और किसी प्रोग्रामर के अंडर काम करके आप जल्दी से प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखेंगे।

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