Internet kya hota hai | What Is Internet in Hindi

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अगर आप इंटरनेट चलाते है और internet kya hota hai खोज रहे हैं। तो आज हम आपको इंटरनेट क्या है इसके लाभ, इंटरनेट के उपयोग और इसकी विशेषताएं आपको बताने वाले हैं।

इस लेख को आप इंटरनेट के ऊपर एक निबंध के रूप में भी लिख सकते है। इसमें वो सभी जानकारी आपको दी गई है जो आपके लिए जरूरी है।

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Table of Contents

इंटरनेट क्या होता है? – (What Is Internet in Hindi)

इंटरनेट का पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क (International Network) है। यह आपस में एक-दूसरे से जुड़े कम्प्यूटर नेटवर्क की एक ग्लोबल संरचना है। यह TCP/IP (Transmission Control Protocol/ Internet Protocol) प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए डेटा को पैकेट स्विचिंग के द्वारा आदान-प्रदान करता है। यह नेटवर्कों का नेटवर्क है, जो लाखों पब्लिक और प्राइवेट शैक्षणिक, औद्योगिक तथा सरकारी नेटवर्कों को सारे विश्व में विस्तार करता है । ये आपस में ताँबे के तारों, फाइबर ऑप्टिकल केबल, वायरलेस कनेक्शन तथा दूसरे तकनीकों से जुड़े हैं। 

विश्व के लगभग सारे नेटवर्क इंटरनेट से जुड़े हैं। इंटरनेट कम्प्यूटर पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय सूचनाओं का तंत्र है। इसे ‘सूचना राजपथ’ (Infromation superhighway) भी कहते हैं। इंटरनेट विभिन्न सूचना संसाधनों और सेवाओं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक मेल, ऑनलाईन चैट, ऑनलाइन बैंकिंग, फाइल ट्रांसफर और शेयरिंग, ऑनलाइन गेमिंग, इंटरलिंक्ड हाइपरटेक्सट दस्तावेज एवं वर्ल्ड वाइड वेब इत्यादि को वहन (carry) करती है। किसी कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सर्विस प्रोभाइडर की सेवा लेनी होती है ततपश्चात् टेलीफोन लाइन के माध्यम से कम्प्यूटर को इंटरनेट सर्विस प्रोभाइडर के सर्वर से जोड़ा जाता है।

इंटरनेट की कल्पना मल्टीमीडिया के बिना नहीं की जा सकती इसलिए आप मल्टीमीडिया क्या है और कैसे इसका उपयोग होता है इसे जरूर पढ़े।

इंटरनेट सर्विस प्रोभाइडर

भारत में इंटरनेट सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा आरंभ किया गया था। भारत में लोकप्रिय इंटरनेट सेवा प्रदाता VSNL (विदेश संचार निगम लिमिटेड), BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड), MTNL (महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड), मंत्रा ऑनलाइन तथा सत्यम ऑनलाइन इत्यादि हैं। इन कम्पनियों का भारत के अनेकों शहरों में DNS (Domain Name System) सर्वर है। DNS सर्वर एक कम्प्यूटर है, जो दूसरे कम्प्यूटर के डोमेन (Domain) नाम को IP (Internet Protocol) एड्रेस में अनुवाद करता है। वर्तमान समय में BSNL द्वारा दो माध्यमों में इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराई जाती है।

  1. PSTN-Public Switched Telephone Network.
  2. ISDN – Integrated Services Digital Network.

इंटरनेट के आवश्यक घटक (Equipments required for Internet)

इंटरनेट का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित उपकरण होने चाहिए:

1. मॉडम

जब इंटरनेट को टेलीफोन लाइन के माध्यम से कनेक्ट करते हैं तो मॉडम की आवश्यकता होती है। यह कम्प्यूटर में चल रहे इंटरनेट ब्राउजर और इंटरनेट सर्विस प्रोभाइडर के बीच आवश्यक लिंक है। टेलीफोन लाइन पर एनालॉग सिग्नल भेजा जा सकता है, जबकि कम्प्यूटर डिजिटल सिग्नल देता है। अतः इन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए मॉडम की आवश्यकता होती है, जो डिजिटल सिग्नल को एनालॉग में तथा एनालॉग को डिजिटल सिग्नल में रूपान्तरित करता है। यह मॉडुलेटर डिमॉडुलेटर का संक्षिप्त रूप है। मॉडम के दोनों ओर कम्प्यूटर और टेलीफोन लाइन जुड़ा होना आवश्यक है।

मॉडम के स्पीड को BPS (Bits Per Second) में मापते हैं। उपलब्ध स्पीड 9600BPS, 28800 BPS, 33600 BPS हैं। इंटरनेट से जुड़ने की स्पीड (Connecting Speed) टेलीफोन सर्विस पर निर्भर करती है। आजकल टेलीफोन सेवा जो ISDN उपयोग करता है, 128 KBPS या इससे उच्च गति पर मॉडम को इंटरनेट से जोड़ने में सक्षम होता है। अतः मॉडम ऐसी डिभाइस है जो डेटा को पल्स में परिवर्तित करता है तथा उन्हें टेलीफोन लाइन पर संप्रेषित करता है।

2. इंटरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर

वेब एक विशाल पुस्तक की तरह है तथा वेब ब्राउजर एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ता है। कुछ प्रमुख वेब ब्राउजर निम्नलिखित हैं। 

  1. नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator)
  2. माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर (Microsoft Internet Explorer)
  3. मौजिला फायरफॉक्स (Mosilla Firefox )
  4. NCSA मॉजैक (NCSA Mosaic )

इन सॉफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं, तथा वेब से अपनी पसंद की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं। वेब ब्राउजर का उपयोग कर हमलोग किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता (Address) टाइप कर जा सकते हैं, इस पता को URL (Uniform Resource Locator) कहते हैं। URL में प्रयुक्त हो रहे टूल्स (Tools) और इंटरनेट पता (Internet address) जहाँ जानकारी मिल सकती है, दोनों रहता है। जैसेURL : http://www.manipalgroup.com में टूल्स http है तथा इंटरनेट पता www.manipalgroup.com है।

वेब ब्राउजर के प्रयोग से वेबसाइट ब्राउज करना (Browsing the Websites using Web Browser)

सर्वप्रथम वेब ब्राउजर खोलते हैं। यदि हमलोग इंटरनेट एक्सपलोरर प्रयोग करते हैं तो Program > Internet Explorer सेलेक्ट करते हैं। जब ब्राउजर खुल है जो शेष वेव साइट पेजों के डोरवे (door way) का काम करता है। होम पेज भी हम अपनी हम स्वतः होमपेज से शुरू करते हैं। अधिकांश वेव साइट में मेन पेज, होम पेज होता इच्छानुसार चुन सकते हैं या खाली (Blank) रख सकते हैं। अब हमलोग जिस वेव साइट का निरीक्षण (visit) करना होता है उसका URL टाइप कर उसे खोल सकते हैं। फलस्वरूप हमें उस साइट पर उपलब्ध सारी सेवायें उपलब्ध हो जाती है।

इस पेज से पीछे पेज पर जाने के लिए बटन जिन पेजों को हम खोल चुके हैं उनके बीच ही काम करता है। टूलबार के HOME बटन BACK बटन तथा आगे पेज पर जाने के लिए FORWARD बटन क्लिक करते हैं। परन्तु ये पर क्लिक कर हम किसी भी वक्त होम पेज पर जा सकते हैं, या दूसरा URL टाइप कर दूसरे वेब पेज को खोल सकते हैं। वेवसाइट वेवपेजों, चित्र, ध्वनी एवं एनिमेशन आदि का समूह तथा किसी भी वेवसाइट का नाम www से आरंभ होता है । जिस साइट का हम प्रायः प्रयोग करते हैं उसके URL को बूकमार्क कर लेते हैं।

इंटरनेट के उपयोग (Uses of Internet)

इंटरनेट के निम्नलिखित उपयोग हैं:

1. सूचनाओं की खोज (Search for Information)

इंटरनेट पर बहुत सारे साइट्स होते हैं जिनमें लिटरेचर, सिनेमा, शेयर्स, संगीत का भंडार और भी बहुत सारी जानकारियों का भंडार इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होता है। लेकिन अगर हम इनको ढूँढ़ पाने में सक्षम नहीं होते हैं तो इंटरनेट पर सर्च टूल भी है, जिनपर इन्हें टाइप कर इनका URL पता कर सकते हैं तथा ब्राउज कर सकते हैं .

कुछ सर्च इंजन निम्नलिखित हैं— गूगल [http://www.google.com], लाइकॉस [http://www.lycos.com], याहू [http://www.yahoo.com], खोज [http://www.khoj.com] इत्यादि। साइबर 411 (Cyber 411) एक विशाल सर्च इंजन है, जो 16 सर्च इंजन के परिणाम को मिलाकर देता है और यह बहुत तीव्र गति से कार्य करता है। खोज एक भारतीय सर्च इंजन है।

2. इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail)

यह व्यापक रूप से प्रयोग होने वाला इंटरनेट सेवा है जिसे संक्षिप्त में ई-मेल (e-mail) कहते हैं। ई-मेल पते के दो भाग होते हैं यूजर नाम तथा डोमेन नाम । इसके द्वारा संदेश को शीघ्र भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए प्रत्येक उपयोगकर्ता का ई-मेल एड्रेस तथा पासवर्ड होता है जो ई-मेल एकाउन्ट बनाकर प्राप्त किया जाता है।

पासवर्ड से उपयोगकर्ता अपने ई-मेल की गोपनीयता बरकरार रख सकता है। ई-मेल का Subject संदेश के विषय वस्तु के बारे में बताता है। ई-मेल एकाउन्ट में एक स्टोरेज एरिया होता है जिसे मेल बॉक्स कहते हैं। प्रेषित मेल प्राप्तकर्ता के मेल बॉक्स में चला जाता है, जिसे खोलकर प्राप्तकर्ता संदेश प्राप्त करता है।

ई-मेल के साथ ग्राफ, ध्वनि, फाइल या फोटो जोड़कर भेजा जा सकता है जिसे Attachments कहते हैं। यह डाक टिकट की आवश्यकता को घटाता है तथा संदेश को भेजने तथा प्राप्त करने में लगे समय की बचत करता है। ड्राफ्ट फोल्डर संदेशों की कॉपियाँ रखता है जिसे हम आरंभ करते हैं या भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। ई-मेल का जन्मदाता आर. टोमलिंसन है।

पहला फ्री ई-मेल सेवा के जन्मदाता सबीर भाटिया हैं जिन्होंने जून 1996 में हॉटमेल सेवा शुरू की। भारत में प्रमुख ई-मेल प्रदान करने वाले साइट www.rediffmail.com, www.yahoomail.com, www.hotmail.com, www.india.com, www.gmail.com हैं।

3. दूसरे व्यक्ति से वार्तालाप करना (Chat with other people)

यदि हम अनजान व्यक्ति से बात करना तथा नये दोस्त बनाना पसंद करते हैं तो इंटरनेट सबसे अच्छा माध्यम है। चैट प्रोग्राम के द्वारा बिना किसी व्यक्ति की भौगोलिक स्थिति जाने हुए हम बातचीत कर सकते हैं। चैट के अन्तर्गत यूजर किसी विषय पर लिखित रूप से चर्चा करते हैं। इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों का उपयोग कर दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा वार्तालाप करना चैटिंग (Chatting) कहलाता है।

4. टेलनेट (Telnet)

टेलनेट प्रोग्राम का प्रयोग कर हम दूसरे कम्प्यूटर को जोड़कर ऐसे कार्य कर सकते हैं, जैसे हम उसके की-बोर्ड के पास बैठे हैं। हम अपने कम्प्यूटर द्वारा दूर स्थित कम्प्यूटर पर कार्य कर सकते हैं तथा उसके संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। इसे रिमोट लॉगइन (Remote login ) भी कहा जाता है।

5. यूजनेट (Usenet)

यह लोगों का समूह है जो सभी जगह मान्यता प्राप्त एक या अधिक लेबल News group के द्वारा विषय ( Article) की अदला बदली ( Exchange) करते हैं। यूजनेट अपने उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध ग्रुप के सेट के बारे में निर्णय लेता है। यह सेट हर साइट के लिए भिन्न-भिन्न होता है।

6. वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web)

वर्ल्ड वाइड वेब (www) और इंटरनेट दोनों दो चीजें हैं परन्तु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्ल्ड वाइड वेब जानकारी युक्त पेजों का विशाल संग्रह है जो एक दूसरे से जुड़ा है। जिसे वेब पेज कहते हैं। वेब पेज HTML भाषा में लिखा होता है जो कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक भाषा है। HTML हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज का संक्षिप्त रूप है। हर पेज टेक्स्ट, चित्र, ध्वनि क्लिप, विडियो क्लिप, एनिमेशन और विभिन्न चीजों का संयोग है। वेब पेज को जो रोचक बनाता है वह है हाइपरलिंक, जिसे अक्सर लिंक कहा जाता है।

हाइपरलिंक पर माउस प्वाइंटर से प्वाइंट करने पर प्वाइंटर का आकार हाथ जैसा हो जाता है। हर लिंक किसी दूसरे पेज को इंगित करता है और जब हम इस पर क्लिक करते हैं, हमारा ब्राउजर लिंक से जुड़े पेज को उपलब्ध कराता है। अतः वर्ल्ड वाइड वेब एक विशाल सूचनाओं का डेटाबेस है तथा हर सूचना एक दूसरी सूचना से जुड़ा है। वेव पेज को रीलोड करने के लिए रीलोड बटन का प्रयोग करते हैं। वर्ल्ड वाइड वेब का विकास टिम बर्नर्स ली ने 1989 में किया था ।

7. फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (FTP)

यह इंटरनेट पर जुड़े दो कम्प्यूटर के बीच फाइल स्थानान्तरण करने की सुविधा है। वेब ब्राउजर का उपयोग कर हम फाइल को डाउनलोड तो कर सकते हैं, पर अपलोड नहीं कर सकते हैं। FTP अनुप्रयोग हमें वेब साइट पर फाइल अपलोड करने में सहायता करता है।

8. ई-कॉमर्स (E-Commerce)

ई-कॉमर्स बिना कागज के व्यापार जानकारी का इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज के द्वारा आदान-प्रदान है। ई-कॉमर्स के अन्तर्गत वस्तुओं या सेवाओं को खरीद या बिक्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे- इंटरनेट के द्वारा होता है। यह इंटरनेट पर व्यापार है।

9. विडियो कान्फरेंसिंग (Video Conferencing)

यह इंटरनेट के द्वारा विभिन्न स्थलों पर ऑडियो और विडियो डेटा संचारित करने के लिए तथा दो या दो से अधिक प्रतिभागियों के बीच एक सम्मेलन का आयोजन करने में सक्षम बनाता है। अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्ति इंटरनेट के द्वारा ऐसे वार्तालाप कर सकते हैं जैसे वे आमने-सामने हों। इसमें कम्प्यूटर के साथ-साथ विडियो कैमरा, माइक्रोफोन तथा स्पीकर की आवश्यकता होती है। यह एक विडियो टेलीफोन की तरह काम करता है। Voice Conversation इंटरनेट टेलीफोनी के माध्यम से भी संभव है।

10. ऑनलाइन खरीदारी (Online Shopping)

ऑनलाइन खरीदारी की प्रक्रिया में उपभोक्ता उत्पादों या सेवाओं की खरीद इंटरनेट के माध्यम से करते हैं, तथा इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ता की माँगों को पूरा किया जाता है।

11. मनोरंजन (Entertainment)

इंटरनेट का उपयोग मनोरंजन के लिए भी किया जाता है। जैसे- ऑनलाइन गेम, सिनेमा, कहानियाँ, खेल, संगीत आदि का इंटरनेट पर असीम भंडार है।

12. ई-लर्निंग (e-learning)

बिना क्लासरूम में गये कम्प्यूटर के विषय में अध्ययन को ई-लर्निंग कहते हैं।

1. URL

यह इंटरनेट पर किसी भी संसाधन का पता देने के लिए स्टैन्डर्ड तरीका है। यह इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं का पता बताता है तथा उस सूचना के प्रोटोकॉल एवं डोमेन नाम को भी दर्शाता है। जैसे- http://www.yahoo.com में http हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर yahoo.com नामक वेबसाइट पर जा सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी भारत की पहली राजनीतिक पार्टी है जिसने इंटरनेट पर अपना वेबसाइट बनाया तथा भारत में सिक्किम राज्य ने सर्वप्रथम इंटरनेट पर टेलीफोन डायरेक्ट्री उपलब्ध कराई। यूआरएल का फुल फॉर्म Uniform Resource Locator होता है।

2. TCP/IP

यह नियमों का एक समूह है, जो इंटरनेट कैसे कार्य करता है यह निर्णय करता है। यह दो कम्प्यूटर के बीच सूचना स्थानान्तरण और संचार को संभव करता है। TCP/IP का फूल फॉर्म Transmission Control Protocal / Internet Protocal होता है।

3. अपलोड (Upload)

एक स्थानीय कम्प्यूटर से दूर स्थित कम्प्यूटर पर डेटा स्थानान्तरण की प्रक्रिया अपलोड है। जब हम अपने कम्प्यूटर से इंटरनेट पर दूसरे कम्प्यूटर को उपयोग करने के लिए फाइल की प्रतिलिपि डालते हैं तो उस फाइल को अपलोड कर रहे होते हैं।

4. डाउनलोड (Download)

एक दूर स्थित कम्प्यूटर या सर्वर से एक स्थानीय कम्प्यूटर के लिए डेटा हस्तांतरण की प्रक्रिया अर्थात् जब हम अपने कम्प्यूटर में इंटरनेट के प्रयोग से दूसरे यूटर या सर्वर से फाइल की प्रतिलिपि डाल रहे हैं उसे डाउनलोड कहते हैं ।

5. गेटवे (Gateway)

यह संचार यंत्र या प्रोग्राम है जो दो भिन्न-भिन्न प्रोटोकॉल वाले नेटवर्क के बीच डेटा संप्रेषित करता है।

6. आई पी एड्रेस ( IP Address)

आई पी एड्रेस चार संख्याओं का एक समूह है जो डॉट (·) से अलग किया जाता है। जिसका एक भाग नेटवर्क का पता (Network Address ) तथा दूसरा भाग नोड पता (Node Address ) है। नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक नोड का IP-एड्रेस खास तथा अलग-अलग होता है। उदाहरण- IP- एड्रेस 202.54.15.178 में 202.54 नेटवर्क एड्रेस है तथा 15.178 नोड एड्रेस है।

7. HTTP (Hyper Text Transfer Protocal)

यह इंटरनेट पर प्रयुक्त एप्लिकेशन स्तर का प्रोटोकॉल है, जो वेब पेज के प्रसारण का निर्धारण करता है।

8. स्पैम (Spam)

इंटरनेट पर लोगों को संदेश या विज्ञापन बार-बार भेजना जिसका उन्होंने अनुरोध नहीं किया है, अर्थात् अवांछित संदेश या विज्ञापन लोगों के ई-मेल बॉक्स में भेजना स्पैम कहलाता है। यह आनसॉलिसिटेड तथा जंक ई-मेल है।

9. डोमेन नाम (Domain Name)

एक विशेष नाम है जो इंटरनेट साइट की पहचान बताता है। किसी इंटरनेट वेबसाइट का URL के अंत में डॉट (Dot) के बाद के नाम को डोमेन नाम कहते हैं। जैसे— http://www.yahoo.com में .com डोमेन नेम है। यह किसी संस्था या देश को इंगित करता है।

जैसे- .gov, .in, .net, .name, .biz, .edu, .org, .mil, .asia, .com

10. फ्लैश (Flash)

यह छोटे-छोटे एप्लिकेशन प्रोग्राम हैं जो वेब पेज पर चलते हैं तथा सुनिश्चित करते हैं कि फार्म ठीक से पूरा हो गया एवं एनिमेशन प्रदान करते हैं फ्लैश कहलाते हैं।

11. सर्फिंग (Surfing)

इंटरनेट के द्वारा अपने पसंद तथा आवश्यकता के अनुरूप साइट को ढूँढना तथा एक्सप्लोर करना सर्फिंग है। इसके द्वारा इंटरनेट से आवश्यकता अनुसार लगभग हर सूचना प्राप्त कर सकते हैं।

12. वायरस (Virus)

वायरस एक प्रोग्राम है जो हमारे कम्प्यूटर सिस्टम में बिना हमारी इच्छा तथा जानकारी (Knowledge) के लोड हो जाता है। एक वायरस बार-बार खुद की प्रतिलिपि तैयार कर सकता है और उपलब्ध सारे मेमोरी का उपयोग कर सिस्टम की गति को धीरे या पूर्णतः रोक सकता है।

कुछ वायरस कम्प्यूटर के बूटिंग से स्वयं को जोड़ लेता है तथा जितनी बार कम्प्यूटर बूट करता है वह उतना ही फैलता जाता है। यह कम्प्यूटर के डेटा या प्रोग्राम को क्षति पहुँचाता है। हमारे कम्प्यूटर में वायरस के आने का सामान्य तरीका इंटरनेट तथा अवांछित ई-मेल है।

कम्प्यूटर वायरस भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं:

  1. बूट सेक्टर वायरस (Boot sector virus)
  2. परजीवी वायरस (Parasitic virus)
  3. मल्टीपार्टाइट वायरस (Multipartite virus)
  4. लिंक वायरस ( Link virus)
  5. मैक्रो वायरस (Macro virus)

वायरस को नष्ट करने के लिए बनाये गये प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को एन्टीवायरस कहते हैं। इसमें आटो प्रोटेक्ट तथा रीयल टाइम प्रोटेक्सन की सुविधा रहती है जो इंटरनेट से किसी फाइल का उपयोग करने के पहले उसे जाँच लेता है कि यह वायरस मुक्त है या नहीं। अगर फिर भी वायरस सिस्टम में सक्रिय हो जाता है, तो हमें पॉपअप विंडो के साथ सूचित कर देता है। जिसे हम एन्टीवायरस के सिस्टम स्कैन चलाकर हटा सकते हैं। कुछ समय के अंतराल पर पूर्ण सिस्टम स्कैन (Full System Scan) चलाकर हम कम्प्यूटर को वायरस मुक्त रखने में सक्षम हो सकते हैं। सर्वप्रथम दिखनेवाला पर्सनल कम्प्यूटर वायरस सी-ब्रेन है।

भारत में सर्वप्रथम दिखाई देने वाला कम्प्यूटर वाइरस ‘हैप्पी वर्थडे जोशी’ है। कुछ कम्प्यूटर वाइरस निम्नलिखित हैं:

  1. सी-ब्रेन (C-Brain)
  2. वान हॉफ (Vanhalf)
  3. क्रिपर (Creeper)
  4. मंकी (Monkey)
  5. माइकल एंगेलो (Michelangelo)
  6. हैप्पी वर्थडे जोशी (Happy Birthday Joshi)

13. पासवर्ड (Password)

यह एक गोपनिय कोड है जो कुछ प्रोग्रामों या दूसरे ईमेल में प्रविष्टि प्रतिबंधित करता है। इसके प्रयोग से हम कुछ प्रोग्राम, डाटा या ईमेल को सुरक्षा (Security) प्रदान करते हैं। यह अल्फान्यूमेरिक या चिह्नों, अंकों एव शब्दों का संयोजन (Cambination) हो सकता है।

14. हैकर (Hacker)

व्यक्ति जो अन्य व्यक्तियों के कम्प्यूटर और कम्प्यूटर नेटवर्क से जानकारी गैर-कानुनी तरीके उसे हानी पहुँचाने के लिए प्राप्त करता है, हैकर कहलाता है।

15. पिसिंग स्कैम ( Phishing scam)

संवेदनशील तथा गोपनीय व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयास को पिसिंग स्कैम कहते हैं। जैसे किसी व्यक्ति विशेष के बैंक खाता संख्या, पासवर्ड तथा क्रेडिट कार्ड विवरण इत्यादि । इसके लिए स्कैमर ई-मेल, फैक्स या किसी कंपनी की अधिकारिक वेवसाइट के समान अवैध वेवसाइट का सहारा लेता है।

इंटरनेट के लाभ और हानि

इंटरनेट के लाभ और हानि हमें इसके उपयोग से ही पता चलते है। बहुत सारे लोग अगर इस उपयोग गलत कामो के लिए करते है। ऊपर हमने आपको इसके उपयोग बताया था। जिसमे अलग अलग सिचुवेशन पर इसके लाभ भी अलग होंगे और हानि भी अलग होगी।

इंटरनेट के लाभ

  1. इंटरनेट की मदद से पढ़ाई बहुत आसान और सस्ती हुई है।
  2. किसी भी सब्जेक्ट को हम इंटरनेट पर फ्री में खोज कर पढ़ सकते है।
  3. इंटरनेट की मदद से मनोरजन करना बहुत आसान हुवा है।
  4. आज के समय में इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन नौकरी करना सम्भव हुवा है हम घर बैठे पैसे कमा सकते है।
  5. पहले मेल करने में समय और पैसा दोनों अधिक लगते थे। लेकिन इंटरनेट की वजह से ईमेल करके हम मसेज को कुछ ही मिनटों भेज सकते है।
  6. इंटरनेट की मदद से बिजनेस को दुनिया के सामने लेकर जाना बहुत आसान हुवा है।
  7. पहले शॉपिंग करने के लिए बजार जाना पड़ता था लेकिन भी ऑनलाइन शॉपिंग करना आसान और फ़ायदेमंद रहता है।
  8. इंटरनेट की मदद से हम दूर देश में बैठे व्यक्ति को देख सुन सकते है वीडियो कॉल की मदद से।
  9. अगर हमे अपनी बात पूरी दुनिया तक पहुचानी है तो हम इंटरनेट की मदद से एक आसानी से लेकर जा सकते है। इसके लिए एक ब्लॉग बनाना या सोशल साइट का यूज हम कर सकते है।
  10. हम सपने दोस्तों और रिश्ते दरों से वार्तालाप कर सकते है। अगर वह अलग अलग स्थानों पर रहते है ,बिना उन से मिले।
  11. internet की मदद से freelancing वेबसाइट पर हम अपनी स्किल की मदद से पैसे कमा सकते है।

इंटरनेट से हानि

  1. इंटरनेट पर जितनी भी जानकारी है वह किसी न किसी कंप्यूटर में स्टोर है। अगर कभी वह कंप्यूटर खराब हो जाता है तो साडी जानकारी खत्म हो जाऐगी।
  2. साडी चीजे ऑनलाइन होने की वजह से स्पैम भी बहुत अधिक बढ़ने लगा है। इंटरनेट की अच्छे से जानकारी नहीं है।
  3. इंटरनेट पर कुछ कम्पनिया पैसा खर्च कर रही है तो यह फ्री नहीं है।
  4. बहुत से लोगों का डाटा इंटरनेट पर किसी कंप्यूटर में सेव है। अगर कोई हैकर उसे हैक करके उस डाटा का यूज गलत काम के लिए करता है तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
  5. वायरस इंटरनेट पर तेज़ी से फैलता है। आज के समय में सभी कंप्यूटर एक दूसरे से इंटरनेट की मदद से जुड़े है। इसलिए इसका ख़तरा अधिक है।
  6. ऑनलाइन लोगों के साथ बहुत अधिक फ्रॉड हो रहा है उनके खातों से पैसे निकाले जा रहे है।
  7. Internet पर तरह तरह के विज्ञापन से लोगों को लुटा जा रहा है। ऐसे प्रोडक्ट के विज्ञापन दिखाए जाते है। जो बहुत ही खराब होते है।
  8. इंटरनेट की मदद से खराब जानकारी शेयर की जा रही है जिस से बच्चों के जीवन पर फर्क पड़ रहा है। उन्हेंटरनेट पर ऐसे मल्टीमीडिया फाइल मिल रहे है जो उन्हें मानसिक तोर पर और शररिक तोर पर नुकशान पहुंचा रहे है।

निष्कर्ष

आज हमने इंटरनेट के बारे में जाना इंटरनेट क्या है और कैसे काम करता है। इंटरनेट के लाभ और हानि हमने समझें। इंटरनेट का उपयोग किस तरह से हमारी जिंदगी के लिए आज के समय में जरूरी है उसे हमने जाना। और अन्य जरूरी परिभाषा को हमने पढ़ा और समझा। अगर आपका कोई और सवाल बचा है interne के बारे में तो हमे कमेंट करके पूछे।

FAQ’s On Internet

इंटरनेट की शुरुआत कब हुई?

सबसे फेल इंटरनेट की शुरुआत 1969 में हुई थी।

भारत में इंटरनेट सेवा कब शुरू हुई?

भारत में इंटरनेट सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा आरंभ किया गया था।

इंटरनेट की खोज किसने की?

टिम बर्नर्स ली ने इंटरनेट बनाया था।

इंटरनेट का पुराना नाम क्या है?

इंटरनेट का पुराना नाम है: ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) है। जिसे 1969 में U.S Defense के द्वारा बनाया गया था। इसके द्वारा जो network विकसित किया गया वह इंटरनेट के नाम से जाना गया।

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