शिक्षा नीति किसी देश में शिक्षा से संबंधित उद्देश्यों, नियमों, कार्यप्रणालियों और सुधारों का एक सुव्यवस्थित ढांचा होती है। यह नीति यह तय करती है कि विद्यार्थियों को क्या पढ़ाया जाएगा, कैसे पढ़ाया जाएगा, किस भाषा में पढ़ाया जाएगा, और किस उम्र में क्या शिक्षा दी जाएगी। शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य समाज में गुणवत्तापूर्ण, समान और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना होता है।
भारत में अब तक तीन प्रमुख शिक्षा नीतियाँ बनाई गई हैं:
1. पहली शिक्षा नीति – 1968 में
2. दूसरी – 1986 में (1992 में संशोधित)
3. तीसरी और नवीनतम – राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020)
नई शिक्षा नीति 2020 में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जैसे:
10+2 की जगह अब 5+3+3+4 प्रणाली लागू की गई है।
पहली से पाँचवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में करवाने पर ज़ोर दिया गया है।
व्यावसायिक शिक्षा, डिजिटल शिक्षा, और कौशल विकास को प्राथमिकता दी गई है।
उच्च शिक्षा में एकल विषयों की पढ़ाई के बजाय बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है।
बोर्ड परीक्षा के दबाव को कम करने और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देने की बात की गई है।
शिक्षा नीति का महत्व:
यह देश के भविष्य यानी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करती है।
सामाजिक समानता और अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
राष्ट्र निर्माण में शिक्षित नागरिकों की भूमिका सुनिश्चित करती है।
- निष्कर्षतः, शिक्षा नीति किसी भी देश की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक उन्नति की रीढ़ होती है। एक अच्छी नीति समाज को प्रगतिशील, विवेकशील और आत्मनिर्भर बनाती है।
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