स्टे ऑर्डर (Stay Order) एक ऐसा न्यायिक आदेश होता है जो किसी कार्यवाही, फैसले या कार्रवाई को अस्थायी रूप से रोकने का निर्देश देता है। यह आदेश भारत के उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया जाता है, जब किसी व्यक्ति को लगता है कि उसके साथ अन्याय हो रहा है या न्याय मिलने से पहले किसी कार्यवाही से उसे नुकसान हो सकता है।
स्टे ऑर्डर का मुख्य उद्देश्य होता है कि जब तक पूरा मामला अदालत में विचाराधीन है, तब तक संबंधित पक्ष को किसी तरह का नुकसान या अन्याय न हो। इससे दोनों पक्षों को न्याय मिलने तक स्थिरता मिलती है।
स्टे ऑर्डर के उदाहरण:
1. यदि किसी व्यक्ति की ज़मीन पर सरकार निर्माण कार्य शुरू कर दे और वह व्यक्ति अदालत में याचिका दायर करे कि उसकी अनुमति के बिना यह कार्य हो रहा है, तो अदालत एक स्टे ऑर्डर देकर निर्माण को रोक सकती है।
2. किसी कर्मचारी को अनुचित तरीके से नौकरी से निकाला गया हो और वह अदालत में याचिका लगाए, तो अदालत स्टे ऑर्डर देकर उस कार्रवाई को रोके रख सकती है।
स्टे ऑर्डर की अवधि:
यह अस्थायी होता है और आमतौर पर कुछ दिन, हफ्तों या महीनों के लिए दिया जाता है। जब तक अदालत अंतिम निर्णय नहीं देती, तब तक यह प्रभावी रहता है या जब तक इसे हटाया न जाए।
निष्कर्ष:
स्टे ऑर्डर न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो नागरिकों को तत्काल राहत देने के लिए बनाया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि न्यायिक फैसले तक कोई भी गलत कार्यवाही या नुकसान न हो। यह विधिक प्रक्रिया को संतुलित और निष्पक्ष बनाता है।
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