प्रह्लाद की माता का नाम “कयाधु” (Kayadhu) था। वह हिरण्यकश्यप की पत्नी और एक महान तपस्विनी थीं।
प्रह्लाद की माता का नाम कयाधु था, जो दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पत्नी थीं। यद्यपि हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी और अहंकारी राजा था, कयाधु स्वभाव से शांत, धार्मिक और सहनशील थीं। वह एक पतिव्रता स्त्री थीं, लेकिन उन्होंने अपने पुत्र प्रह्लाद की धार्मिक आस्था का समर्थन किया।
जब हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु का विरोध करना शुरू किया और अपने राज्य में उनके पूजन पर प्रतिबंध लगा दिया, तब भी कयाधु ने अपने बेटे को धार्मिक शिक्षा और अच्छे संस्कार देने से परहेज़ नहीं किया। ऐसा माना जाता है कि जब वह गर्भवती थीं, उस समय नारद मुनि उन्हें अपने आश्रम में ले गए और वहां भगवान विष्णु की कथाएं सुनाईं। कयाधु तो सो जाती थीं, लेकिन गर्भ में पल रहा प्रह्लाद सारी बातें सुनता और उन्हें आत्मसात करता था। इसी कारण प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त बने।
कयाधु की भूमिका एक माता के रूप में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। उन्होंने न केवल प्रह्लाद को जन्म दिया, बल्कि उसे ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी दी। यद्यपि उन्होंने अपने पति की नीतियों का खुलकर विरोध नहीं किया, लेकिन अपने पुत्र को गलत मार्ग पर जाने से रोका।
निष्कर्ष: कयाधु एक आदर्श माता थीं जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी अपने पुत्र की रक्षा की और उसे धर्म के मार्ग पर बनाए रखा। उनकी भूमिका से यह सिखने को मिलता है कि एक मां की शिक्षा और संस्कार संतान के जीवन की दिशा तय करते हैं।
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