प्रस्तावना का मतलब होता है – किसी भी विषय, लेख, भाषण, निबंध, किताब या संविधान की शुरुआती भूमिका या परिचय, जो उस विषय के उद्देश्य, महत्व और रूपरेखा को संक्षेप में बताती है। यह पाठक या श्रोता को यह समझाने में मदद करती है कि आगे क्या आने वाला है और उसका मूल उद्देश्य क्या है।
उदाहरण के लिए:
1. निबंध में प्रस्तावना:
जब हम कोई निबंध लिखते हैं, तो उसकी शुरुआत एक या दो पैराग्राफ में विषय को समझाकर करते हैं। यही निबंध की प्रस्तावना कहलाती है।
2. संविधान की प्रस्तावना:
भारत के संविधान में भी एक प्रस्तावना है जो बताती है कि हमारा देश एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है और यह नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का आश्वासन देता है।
3. किसी किताब या रिपोर्ट में प्रस्तावना:
किताब की शुरुआत में जो हिस्सा लेखक लिखता है जिसमें वह किताब की थीम, उद्देश्य और महत्व बताता है, उसे भी प्रस्तावना कहते हैं।
प्रस्तावना के मुख्य गुण:
यह संक्षिप्त और स्पष्ट होती है।
विषय से जुड़ी होती है।
पाठक या श्रोता की रुचि बढ़ाने में मदद करती है।
यह आगे की सामग्री की दिशा तय करती है।
निष्कर्ष:
प्रस्तावना किसी भी रचना की वह पहली झलक होती है जो पाठक या श्रोता को विषय का सार देती है। यह प्रभावी हो तो पूरा लेख या भाषण और भी रोचक लगने लगता है।
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