पुंजीगत व्यय वह व्यय होता है जो सरकार या कोई संस्था अपने स्थायी संसाधनों के निर्माण, अधिग्रहण या सुधार के लिए करती है। इस प्रकार के खर्च का उद्देश्य दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करना होता है। यह खर्च किसी परिसंपत्ति को खरीदने, उसे बेहतर बनाने या एक नई परिसंपत्ति के निर्माण पर किया जाता है, जिससे भविष्य में उत्पादन या सेवाओं की क्षमता में वृद्धि हो।
सरकार द्वारा किए गए पुंजीगत व्यय के उदाहरणों में सड़कें, पुल, रेलवे लाइनें, जल आपूर्ति योजनाएं, सरकारी भवन, स्कूल, अस्पताल, और रक्षा उपकरणों की खरीद आदि शामिल हैं। जब सरकार ऐसी परियोजनाओं पर खर्च करती है, तो वह न केवल बुनियादी ढांचे को मजबूत करती है, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति देती है।
पुंजीगत व्यय और राजस्व व्यय में मुख्य अंतर यह है कि पुंजीगत व्यय से स्थायी संपत्ति का निर्माण होता है, जबकि राजस्व व्यय का संबंध रोज़मर्रा के संचालन खर्चों से होता है जैसे कि वेतन, पेंशन, सब्सिडी आदि। उदाहरण के लिए, एक सरकारी स्कूल की इमारत का निर्माण पुंजीगत व्यय है, जबकि उस स्कूल में शिक्षकों के वेतन का भुगतान राजस्व व्यय में आता है।
पुंजीगत व्यय देश की आर्थिक वृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है, रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और समग्र बुनियादी ढांचे का विकास होता है। हालांकि यह खर्च तत्काल लाभ नहीं देता, लेकिन दीर्घकाल में यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
इसलिए, बजट में जब सरकार अधिक पुंजीगत व्यय करती है, तो उसे एक सकारात्मक संकेतक माना जाता है जो भविष्य के विकास की दिशा में उठाया गया कदम होता है।
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