रावण के भाई कई थे, लेकिन मुख्य रूप से तीन भाइयों का उल्लेख रामायण में प्रमुखता से मिलता है – कुंभकर्ण, विभीषण, और अहिरावण। इन भाइयों में से हर एक की अपनी अलग-अलग विशेषताएँ और भूमिका थी, जो रावण के जीवन और रामायण की कथा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
1. कुंभकर्ण
कुंभकर्ण रावण का छोटा भाई था और वह विशालकाय शरीर वाला, अत्यंत बलशाली योद्धा था। वह रावण की तरह ही ब्रह्मा जी का परम भक्त था और उसने कठोर तपस्या की थी। ब्रह्मा जी से वरदान मांगते समय उसकी ज़बान फिसल गई और उसने ‘निद्रासन' (नींद में रहने का वरदान) मांग लिया, जिससे वह साल में केवल एक बार ही जागता था। जब रावण ने राम के खिलाफ युद्ध छेड़ा, तब कुंभकर्ण को विशेष प्रयासों से जगाया गया और वह राम से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।
2. विभीषण
विभीषण रावण का सबसे छोटा भाई था और वह धार्मिक, सत्यवादी और मर्यादावान व्यक्ति था। उसने रावण को कई बार सीता माता को वापस लौटा देने की सलाह दी, लेकिन जब रावण नहीं माना, तो विभीषण रावण का साथ छोड़कर श्रीराम के शरण में चला गया। श्रीराम ने उसे लंका का भविष्य का राजा बनाया। विभीषण की छवि एक धर्मात्मा और विवेकशील व्यक्ति की है।
3. अहिरावण
अहिरावण रावण का सौतेला भाई था और पाताल लोक का राजा था। उसने राम और लक्ष्मण का अपहरण किया था, लेकिन हनुमान ने पाताल लोक जाकर उसे मार दिया और दोनों भाइयों को मुक्त कराया।
निष्कर्ष:
रावण के भाइयों ने रामायण में विविध भूमिकाएँ निभाईं – कोई युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ, तो कोई धर्म के मार्ग पर चलकर श्रीराम का साथ बना। इन सबने रावण की कथा को और अधिक गहराई और विविधता दी।
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