रिमांड (Remand) एक कानूनी शब्द है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी आरोपी को पुलिस या न्यायालय द्वारा आगे की जांच या सुनवाई के लिए हिरासत में भेजा जाता है। रिमांड का उद्देश्य आरोपी से पूछताछ करना, सबूत इकट्ठा करना या मामले की गहराई से जांच करना होता है। यह दो प्रकार का होता है:
1. पुलिस रिमांड –
इसमें आरोपी को कुछ दिनों के लिए पुलिस की हिरासत में दिया जाता है ताकि पुलिस उससे सीधे पूछताछ कर सके और केस से जुड़े तथ्यों की जानकारी ले सके। पुलिस रिमांड की अवधि अधिकतम 15 दिन तक हो सकती है और इसे मजिस्ट्रेट की अनुमति से ही बढ़ाया जा सकता है।
2. न्यायिक रिमांड (Judicial Custody) –
अगर पुलिस को लगता है कि अब उन्हें और पूछताछ की ज़रूरत नहीं है, तो आरोपी को जेल भेज दिया जाता है, जिसे न्यायिक हिरासत कहा जाता है। इसमें आरोपी को जेल में रखा जाता है न कि पुलिस स्टेशन में। यह अधिक लंबी अवधि तक चल सकती है।
रिमांड देने का फैसला कोर्ट द्वारा किया जाता है और इसके लिए पुलिस को कारण बताना होता है कि रिमांड क्यों जरूरी है। अदालत यह देखती है कि रिमांड का उद्देश्य वैध है या नहीं।
उदाहरण: अगर किसी व्यक्ति पर चोरी का आरोप है और पुलिस को लगता है कि उससे पूछताछ करके और चोरों का गिरोह पकड़ा जा सकता है, तो वे कोर्ट से रिमांड की मांग कर सकते हैं।
इस तरह, रिमांड का अर्थ होता है – किसी आरोपी को जांच या सुनवाई के उद्देश्य से अस्थायी रूप से हिरासत में भेजना। यह आरोपी को दोषी मानने का प्रमाण नहीं होता, सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया होती है।
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