संप्रभुता किसी राज्य या देश की वह सर्वोच्च शक्ति है जिसके आधार पर वह अपने आंतरिक और बाहरी मामलों में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है, बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के। यह ‘राज्य का सबसे महत्वपूर्ण तत्व' है।
संप्रभुता का अर्थ और महत्व
संप्रभुता शब्द लैटिन शब्द “सुपरनस” से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘सर्वोच्च' या ‘सर्वोपरि'। यह किसी भी राज्य की वह शक्ति है जो उसे अपने क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थाओं पर कानूनी और राजनीतिक नियंत्रण रखने की अनुमति देती है। एक संप्रभु राज्य अपने नियम, कानून, नीतियां और निर्णय स्वयं बनाता और लागू करता है, और किसी अन्य राज्य या बाहरी शक्ति के अधीन नहीं होता।
संप्रभुता को दो मुख्य पहलुओं में देखा जा सकता है:
* आंतरिक संप्रभुता: इसका अर्थ है कि राज्य अपने क्षेत्र के भीतर सर्वोच्च होता है। उसके पास अपने नागरिकों पर कानून बनाने और लागू करने का अंतिम अधिकार होता है। कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्था राज्य के कानूनों से ऊपर नहीं होती।
* बाहरी संप्रभुता: इसका अर्थ है कि राज्य अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्वतंत्र होता है। वह अन्य देशों के साथ संधि करने, युद्ध घोषित करने या शांति स्थापित करने जैसे निर्णय अपनी मर्जी से लेता है, और किसी बाहरी शक्ति के दबाव में काम नहीं करता।
संक्षेप में, संप्रभुता वह सर्वोच्च और असीमित शक्ति है जो किसी राज्य को अपनी सीमाओं के भीतर पूर्ण नियंत्रण रखने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम बनाती है। यह आधुनिक राज्य की नींव है और उसे एक वैध, स्वतंत्र इकाई के रूप में पहचान दिलाती है।
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