संविधान सभा वह संस्था थी जिसे भारत का संविधान बनाने के लिए गठित किया गया था। यह सभा 9 दिसंबर 1946 को अस्तित्व में आई और इसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद चुने गए। संविधान सभा का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्र भारत के लिए एक ऐसा संविधान तैयार करना था जो देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार, स्वतंत्रता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करे।
संविधान सभा के कुल 299 सदस्य थे, जो विभिन्न प्रांतों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। इनमें डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी आदि प्रमुख सदस्य थे। डॉ. अंबेडकर को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया और उन्हें भारतीय संविधान का शिल्पकार भी कहा जाता है।
संविधान सभा ने करीब 2 साल 11 महीने और 18 दिन तक कुल 165 बैठकें कीं और अंततः 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को स्वीकार किया। यह संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ, जिसे आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
संविधान सभा ने न केवल एक कानूनी दस्तावेज तैयार किया, बल्कि भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की नींव रखी। इसने समाज के सभी वर्गों, जातियों, भाषाओं और धर्मों को एक सूत्र में बांधने का काम किया।
निष्कर्ष:
संविधान सभा भारत का वह ऐतिहासिक निकाय था जिसने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का निर्माण किया। इसकी मेहनत और दूरदर्शिता के कारण आज भारत एक मजबूत, लोकतांत्रिक और संप्रभु राष्ट्र के रूप में खड़ा है।
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