शिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन विशेष तौर पर भगवान शिव की आराधना और व्रत करने का विधान है। शिवरात्रि के दिन कुछ विशेष कार्य और नियमों का पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
सबसे पहले, शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान अवश्य करना चाहिए। शुद्ध मन और शरीर से पूजा-अर्चना करने का विधान होता है। इसके बाद भगवान शिव के मंदिर जाकर या घर में शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, गंगाजल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र को भगवान शिव का प्रिय माना जाता है, इसलिए इसे विशेष महत्व देना चाहिए।
इस दिन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होती है। पूरे दिन व्रत रखना चाहिए, जिसमें बिना कुछ खाए-पीए निर्जला व्रत करना श्रेष्ठ माना जाता है। यदि निर्जला व्रत संभव न हो तो फलाहार या हल्का भोजन लिया जा सकता है। व्रत से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप, भजन-कीर्तन और ध्यान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करने से मानसिक शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है। रात्रि में जागरण करके शिव की कथा सुनना और शिव चालीसा का पाठ करना भी बहुत फलदायी होता है।
इस दिन गंगा जल का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि गंगा जी की धाराएं शिवजी की जटाओं से निकली मानी जाती हैं। इसलिए शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने से पूजा में विशेष फल मिलता है।
शिवरात्रि पर दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से भगवान शिव की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
निष्कर्ष:
शिवरात्रि के दिन स्नान, पूजा, व्रत, मंत्र जाप, जागरण और दान-पुण्य करना चाहिए। इससे भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति आती है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति का भी अवसर होता है।
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