शोर का मतलब होता है तेज आवाज़ या हलचल, जो वातावरण में गड़बड़ी और अशांति पैदा करती है। जब कोई जोर से आवाज करता है या कोई ऐसा कार्य करता है जिससे आस-पास शांति भंग हो, तो उसे शोर कहा जाता है। शोर एक प्रकार की ध्वनि pollution (ध्वनि प्रदूषण) भी हो सकती है, जो हमारे सुनने की क्षमता, मानसिक शांति और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है।
शोर कई प्रकार का हो सकता है। जैसे सड़क पर तेज आवाज़ करने वाले वाहन, काम करने वाले मशीनें, निर्माण कार्य, जोर-जोर से बात करना या चिल्लाना, संगीत का बहुत ज़्यादा तेज होना आदि। ये सब मिलकर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करते हैं जहां व्यक्ति को ध्यान लगाने में परेशानी होती है और वेतन, पढ़ाई या आराम करने में दिक्कत होती है।
शोर के कारण व्यक्ति की नींद प्रभावित हो सकती है, जिससे थकान और मानसिक तनाव बढ़ता है। बच्चों में ध्यान की कमी, बुजुर्गों में उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं भी शोर के कारण हो सकती हैं। इसलिए शोर को नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है।
पर्यावरण और शहरों में बढ़ते शोर को कम करने के लिए नियम बनाए गए हैं। जैसे स्कूल, अस्पताल और धार्मिक स्थानों के आसपास शोर नहीं करना चाहिए। वाहनों की हॉर्न बजाने की सीमा तय की गई है। इसके अलावा, घरों और कार्यस्थलों में शोर नियंत्रण के उपाय भी अपनाए जाते हैं।
शोर-शराबे से बचने के लिए हमें अपनी बोलचाल में संयम रखना चाहिए और दूसरों की शांति का सम्मान करना चाहिए। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर भी शांति बनाए रखना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
शोर तेज आवाज़ या अशांति को कहते हैं, जो हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। शोर को नियंत्रित करना समाज और पर्यावरण के लिए आवश्यक है ताकि हम शांति और स्वस्थ जीवन जी सकें।
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