स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था। वे 19वीं शताब्दी के महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे, जिनका जीवन सादगी, भक्ति और ज्ञान से परिपूर्ण था। स्वामी विवेकानंद, जिनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, अपने युवावस्था में जब ईश्वर के अस्तित्व को लेकर अनेक सवालों से घिरे थे, तब उन्हें रामकृष्ण परमहंस से मार्गदर्शन मिला।
– रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1836 में पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर नामक गांव में हुआ था। बचपन से ही वे धार्मिक प्रवृत्ति के थे और भक्ति मार्ग में रमे रहते थे।
– उन्होंने माँ काली की उपासना को अपना जीवन समर्पित कर दिया और हर धर्म को एक ही सत्य की ओर ले जाने वाला मार्ग बताया।
– जब नरेंद्रनाथ पहली बार रामकृष्ण से मिले, तो उन्होंने उनसे पूछा – “क्या आपने ईश्वर को देखा है?” रामकृष्ण ने तुरंत जवाब दिया – “हाँ, मैं रोज़ ईश्वर को उतनी ही स्पष्टता से देखता हूँ जितना मैं तुम्हें देख रहा हूँ।” यह सुनकर नरेंद्र का जीवन बदल गया।
– रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को आत्मबोध, ध्यान और सेवा का मार्ग सिखाया। उन्होंने उन्हें बताया कि हर प्राणी में ईश्वर है और गरीबों की सेवा करना ईश्वर की सेवा करना है।
– गुरु और शिष्य के इस विशेष संबंध ने स्वामी विवेकानंद को विश्व मंच पर भारत की आध्यात्मिकता का संदेश देने की प्रेरणा दी।
रामकृष्ण परमहंस न केवल स्वामी विवेकानंद के गुरु थे, बल्कि वे एक ऐसी ज्योति थे जिन्होंने विवेकानंद जैसे महापुरुष को आत्मज्ञान और सेवा का मार्ग दिखाया। उनका प्रभाव आज भी रामकृष्ण मिशन और विवेकानंद की शिक्षाओं के माध्यम से दुनिया भर में महसूस किया जाता है।
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