विद्यार्थी शब्द का संधि-विच्छेद होता है – विद्या + अर्थी।
यहाँ दो शब्दों विद्या और अर्थी की संधि से मिलकर “विद्यार्थी” शब्द बना है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
1. विद्या –
‘विद्या' का अर्थ है ज्ञान, शिक्षा या अध्ययन से संबंधित विषय। यह वह चीज़ है जिसे मनुष्य सीखता है और जिसे ग्रहण करके वह अपने जीवन को आगे बढ़ाता है। यह एक संस्कृत मूल शब्द है।
2. अर्थी –
‘अर्थी' शब्द का अर्थ होता है – चाहने वाला, इच्छा रखने वाला या अभिलाषी। जब कोई व्यक्ति किसी चीज़ को प्राप्त करने की इच्छा रखता है, तो उसे उस चीज़ का ‘अर्थी' कहा जाता है।
3. विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
जब कोई व्यक्ति विद्या अर्थात् ज्ञान की इच्छा रखता है या ज्ञान को प्राप्त करना चाहता है, तो उसे विद्यार्थी कहा जाता है।
उदाहरण के रूप में:
जो बालक शिक्षा प्राप्त करना चाहता है, वह एक विद्यार्थी है।
विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चे विद्यार्थी होते हैं।
व्याकरणिक दृष्टिकोण से:
यह तद्धित संधि का उदाहरण है, जहाँ एक शब्द के अंत और दूसरे शब्द की शुरुआत में स्वर के मेल से नया शब्द बनता है।
निष्कर्ष:
विद्यार्थी केवल पढ़ने वाला नहीं, बल्कि वह व्यक्ति होता है जो ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा रखता है। इसीलिए, विद्यार्थी शब्द का संधि-विच्छेद “विद्या + अर्थी” न केवल व्याकरणिक रूप से सही है, बल्कि इसका भावार्थ भी गहरा और प्रेरणादायक है।
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